खुद की जिंदगी की किताब,,, लिखना चाहती हूँ। खुद की जिंदगी की किताब,,, लिखना चाहती हूँ।
धर्म के नाम पर बटते भोजन पशु और रंग भी देखे हैं। धर्म के नाम पर बटते भोजन पशु और रंग भी देखे हैं।
उपेक्षित अपनों के बीच उपेक्षित अपनों के बीच
गांव से जुड़ी अपनी पहचान रहने दो, शहर ना बनाओ गांव को गांव ही रहने दो। गांव से जुड़ी अपनी पहचान रहने दो, शहर ना बनाओ गांव को गांव ही रहने दो।
मगर, यह गुजरती भी नहीं, अपनों के बिना। मगर, यह गुजरती भी नहीं, अपनों के बिना।
चारों दिशाओं में है फैला भ्रम का जाल चीख चीख कर कर रहा Cab,Nrc का बहिष्कार। चारों दिशाओं में है फैला भ्रम का जाल चीख चीख कर कर रहा Cab,Nrc का बहिष...